भाषा मे विराम चिन्ह (Viram Chinh) का विशेष महत्व है। यह शब्दों, वाक्यों और वाक्यांशो में उपयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण चिन्ह है। जो किसी लेख को पढते वक्त आवाज के विश्राम जैसे- पूर्ण विराम, अल्प विराम, प्रश्नवाचक आदि को दर्शाने और पाठन क्रिया को सुव्यवस्थित करने का कार्य करता है। जिससे हमे शब्दों और वाक्यो को अच्छी तरह से पढने व समझने में मदद मिलती है।
किसी भी भाषा मे विराम चिन्ह (Viram Chinh) का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है बिना इसके प्रयोग के हम सुव्यवस्थित शब्द या वाक्य नही बना सकते, साथ ही विराम चिन्ह का प्रयोग उचित स्थान पर ना करने से अर्थ का भी अनर्थ हो जाता है। आइये विराम चिन्ह को हिंदी मे (Viram Chinh In Hindi) में विस्तार से जानते है।
विराम चिन्ह – Viram Chinh In Hindi
प्रश्न – विराम चिंह किसे कहते है ? (viram chinh kise kahate hain)
विराम का अर्थ “रुकना” है। इसके प्रयोग से हम शब्दो या वाक्यो को व्यवस्थित ढंग से पढते है। प्राय: यह शब्दो/वाक्यो मे आवाज के विश्राम को दर्शाने और पठन को सुव्यवस्थित करने का कार्य करता है। अधिकांश इसका प्रयोग वाक्यों के अंत, वाक्यांशों के बीच और संकेताक्षर के बाद होता है।
विराम चिन्हो के नाम निम्नलिखित है – पूर्ण विराम (।), अर्द्ध विराम (;), अल्प विराम (,), उप विराम (:), प्रश्नवाचक चिन्ह (?), कोष्ठक चिन्ह ( ), उदहारणचिन्ह (“…”), विस्मयादिबोदक चिह्न (!) आदि इन्हे विस्तार से नीचे लिखा गया है।
सभी विराम चिन्हो के नाम – All Viram Chinh Name Hindi
विराम चिन्हो के नाम (हिंदी) | विराम चिन्हो के नाम (अंग्रेजी) | चिंह |
पूर्ण विराम | Full Stop | । |
अर्द्ध विराम | Semi Colon | ; |
अल्प विराम | Comma | , |
उप विराम | Colon | : |
प्रश्नवाचक चिन्ह | Question Mark | ? |
योजक चिन्ह | Hyphen | |
कोष्ठक चिन्ह | Bracket | ( ) |
अवतरण / उदहारण चिन्ह | Inverted Comma | “…” |
विस्मयादिबोदक चिह्न | Sign of Exclamation | ! |
लाघव चिन्ह/ संक्षेपसूचक | Abbreviation Sign | ० |
निर्देशक चिन्ह | Sign of Dash | — |
विवरण चिन्ह | Sign of Following | :- |
विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह/हंसपद | Oblivion Sign | ^ |
विराम चिन्ह छोटे बच्चों के साथ-साथ बडे कक्षाओं मे पढने वाले विद्यार्थी जैसे कक्षा 6, 7, 8, 9, 10, 11 एवं 12 तथा प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करने वालो के लिये भी अनिवार्य है। आज हम सब इस ब्लोग मे सभी विराम चिंहो के नाम एवं उदाहरण (viram chinh with example) से समझते है?
पूर्ण विराम – Purn Viram Chinh
जैसा की पूर्ण विराम के नाम से ही समझा जा सकता है कि यह पूरी तरह ठहराव की स्थित का बोध करा रहा। अर्थात जिन वाक्यों के अंत मे पूर्ण विराम का चिन्ह प्रयुक्त होता है वहाँ ठहर के (कुछ देर रुक) के अगले वाक्य को पढा जाता है.
पूर्ण विराम का चिन्ह एक खडी रेखा (। )के जैसे होता है। समान्यत: पूर्ण विराम चिन्ह वाक्य की समाप्ति का बोध कराता है। आइये उदाहरण से समझते है.
पूर्ण विराम चिन्ह के उदाहरण – Purn Viram Chinh Example
- विजय साइकिल चला सकता है।
- कुशल कविता लिखता है।
- मै रोजाना खाना खाता हू।
- अनाया प्रतिदिन विद्यालय जाती है।
- सायसा को कम्प्यूटर चलाने आता है।
अर्द्ध विराम – Ardh Viram Chinh
जैसा की अर्द्ध विराम के नाम से ही समझा जा सकता है कि अल्प विराम से अधिक एवं पूर्ण विराम से कम ठहराव ही अर्द्ध विराम है। अर्थात जिन वाक्यों मे अर्द्ध विराम का चिन्ह प्रयुक्त होता है वहाँ थोडा ठहर के अगले वाक्य को पढा जाता है.
जिन वाक्यो मे पूर्ण विराम (Purn Viram) की अपेक्षा कम देर और अल्पविराम (Alp Viram) की अपेक्षा अधिक देर तक रुकना हो, वहां अर्द्धविराम (;) का प्रयोग होता हैं। जैसे-
- साम हो गई; चांद दिखने लगा।
- एक तरफ पंकज, आकाश, और पवन होंगे; दुसरी तरफ वरूण, विमल और सुरेश होगा।
यह भी आपके लिये उपयोगी है? –
अल्प विराम – Alp Viram Chinh
अल्प विराम को अंग्रेजी मे Comma कहते है. इसका उपयोग वाक्यो के बीच में विराम उत्पन्न करने के लिये किया जाता हैं। आइये अल्प विराम (Alp Viram Chinh) के उदाहरण सहित समझते है।
- अगर मेरे पास पैसे होते तो मै कार, साइकिल, हेलिकाप्टर, मोबाइल, और लैपटोप जरुर खरीद लेता।
- कुशल प्रतिदिन ब्रश करता है, नहाता है, कपड़े पहनता है, भोजन करता है और विद्यालय चला जाता है।
- प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा, “हमें भारतीय होने पर गर्व है”
- मै समय पर घर पहुच जाता, कितु मेरी बाइक खराब हो गई थी।
उप विराम – Up Viram Chinh
उप विराम को अपूर्ण विराम भी कहा जाता है। इस विराम का प्रयोग किसी शब्द या वाक्य को अलग से दर्शाने के लिये किया जाता है। प्राय: इसका प्रयोग कहानियो मे अधिक देखने को मिलता है। Up Viram Chinh उदाहरण निम्नलिखित है।
- विजय सुनो: मै जल्द ही तुम्हारे घर आने वाला हू।
- माँ : ममता की प्रतिमूर्ति – पढे माँ पर शायरी
- विद्यालय: शिक्षा का केंद्र होता है।
प्रश्नवाचक चिन्ह (?) – Prashnavachak Viram Chinh
जिन वाक्यो से हमे प्रश्न पुछने का आभाष होता है वहाँ प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग होता है प्रश्नवाचक चिन्ह (?) (Prashnvachak Viram Chinh) के उदाहरण निम्नलिखित है।
- क्या तुम्हारा सलेक्सन परीक्षा मे हो गया?
- क्या आज वर्षा होने वाली है?
- क्या रमेश आज विद्यालय आयेगा?
- क्या तुम प्रतिदिन पुस्तक पढते हो?
योजक चिन्ह (–) – Yojak Viram Chinh
योजक चिह्न का प्रयोग दो शब्दों में परस्पर संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा उन्हें जोड़कर लिखने के लिए योजक चिह्न (–) का प्रयोग किया जाता है। किसी वाक्य को नये तरीके से लिखने के लिए, हम योजक चिह्न का इस्तेमाल करके उन शब्दों के बीच संबंध प्रकट करते हैं।
- माता-पिता
- संविधान – संविधानवाद से अलग है।
- जन्म-मृत्यू जीवन के दो भाग है।
- भीड़ – भाड़
कोष्ठक चिन्ह () – Koshthak Viram Chinh
कोष्ठक चिन्ह () का प्रयोग अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। अर्थात वाक्य के बीच में आए शब्दों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है ताकि वाक्य को अधिक परिभाषित किया जा सके। इसके उदाहरण निम्नलिखित है।
- जहाँ न पहुचे रवि (सूरज की किरणे) वहाँ पहुचे कवि
- कनक (सोना) कनक (धतुरा) ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। वा खाए बौराय जग, या पाए बौराय।
- हमें हर रोज (प्रतिदिन) सुबह उठकर योगा करना चाहिये।
अवतरण / उदहारण चिन्ह – Udaharan Viram Chinh
किसी विशेष शब्द या वाक्य को अधिक महत्वपूर्ण दर्शाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। प्राय: हम इस चिन्ह का प्रयोग किसी महान पुरुष के विचार या किसी वाक्य के खास शब्द पर जोर देने के लिए प्रयोग करते है। जैसे कि –
- भगवान कृष्ण ने कहाँ था “कर्म करो फल की चिंता करो”
- स्वामी विवेकानंद – “धैर्यवान व्यक्ति से अधिक बलवान कोई नही”
- सुभाषा चंद्र बोश ने कहाँ था – “तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजाती दुंगा”
विस्मयादिबोधक चिह्न [ ! ] – Vismayadibodhak Viram Chinh
विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग विस्मय (आश्चर्य), ख़ुशी, दुःख, घृणा, करुणा, शोक, घृणा, भय, हर्ष इत्यादि भावों का बोध करवाने वाले शब्दों या वाक्यों के अन्त में विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: अरे! तुम कब आए।
- वाह! यह बहुत स्वादिष्ट बना है।
- हे भगवान! तुमने ऐसा क्यू किया।
- अरे! यह इतना ऊँचा कैसे चढ़ गया!
- गजब! क्या बात है।
- छी:छी! यह कितना गन्दा है।
लाघव चिन्ह/ संक्षेपसूचक (०) – Laghav Viram Chinh
किसी बड़े शब्द छोटे रूप मे लिखने के लिए लाघव चिन्ह/ संक्षेपसूचक (०) का प्रयोग किया जाता है।
- डॉक्टर के लिए – डा०
- पण्डित के लिये – प०
- मध्यप्रदेश के लिये- म०प्र०
- उत्तर मध्य रेलवे के लिये – उ०म०रे०
- उत्तर प्रदेश के लिए – उ० प्र०
निर्देशक चिह्न [ — ] – Nirdeshak Viram Chinh
किसी वाक्य के भाव को सुस्प्ष्ट करने के इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि-
- रहीमदास ने कहाँ — बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलया कोई, जो दिल खोज आपने, मुझसे बुरा न कोई
- महात्मा गांधी ने कहाँ – स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये आंदोलन करना ही होगा।
विवरण चिन्ह ( :- ) – Vivaran Viram Chinh
इस चिन्ह का प्रयोग विवरण देने के लिये किया जाता है। जब वाक्यांश के विषयों में कुछ सूचक निर्देश आदि देना हो तोम इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे –
- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का नाम :- प० जवाहरलाल नेहरु
- हिंदूयो का प्रमुख त्योहार :- दिवाली, होली, रक्षाबंधन, आदि
- भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री – नरेंद्र मोदी
विस्मरण या त्रुटिपूरक चिन्ह – Trutipurak Viram Chinh
इसे त्रुटिपूरक चिन्ह भी कहा जाता है. जैसा की त्रुटिपूरक के नाम से ही समझा जा सकता है कि त्रुटि (गलती) होने के पश्चात प्रयोग किया जाने वाला चिन्ह त्रुटिपूरक चिन्ह होता है।
जब हम कुछ लिखने का प्रयास करते है तो जल्दबाजी या अन्य कारणो से कुछ शब्द लिखना भूल जाते है। ऐसे मे त्रुटिपूरक चिन्ह (^) का प्रयोग करके बचे शब्द को उपर लिख देते है जैसे कि –
- मै प्रतिदिन ^ से विद्यालय जाता हू – मै प्रतिदिन साइकिल से विद्यालय जाता हू।
- विजय ^ गया था – विजय सिनेमा देखने गया था।
विराम चिन्ह चित्र – viram Chinh Image
सभी विराम चिन्हो के नाम
अर्द्ध विराम चिन्ह – (;)
अल्प विराम चिन्ह – (,)
हंस पद – (^)
लाघव चिन्ह – (°)
प्रश्नवाचक चिन्ह – (?)
उद्धरण चिन्ह – (” “)
योजक चिन्ह – (-)
विवरण चिन्ह – (:—)
लोप सूचक चिन्ह – (…)
तुल्यतासूचक चिन्ह – (=)
विस्मयादिबोधक चिन्ह – (!)