हम इस लेख में नई और पुरानी कहाँनी पढेंगे, कहाँनी दो प्रकार की होती है पहला काल्पनिक और दुसरा सच्ची घटना पर आधारित, इस लेख में लिखी गई कहाँनी काल्पनिक है।
कहाँनी लोग क्यू पढंते है- कहाँनी पढने से हमें शिक्षा मिलती है, इसे हम कुछ इस प्रकार से समझते है की जब हमें कोई बात समझ नहीं आती, तब हम उस बात को कहाँनी के माध्यम से समझे तो आसानी से समझ जायेंगे, कहाँनिया पढने व सुनने से व्यक्ती किसी जानकारी को आसानी से याद कर सकता है।
“स्वास्थ्य का वरदान ” New Story in Hindi
एक गाव के पास बड़ा सा जंगल था गाव के सभी लोग जंगल में शिकार करते थे शिकार से ही उनके परिवार का पालन पोषण चलता था, गाव में चंदन नाम का आदमी था जो की औरो लोगों के अपेक्षा ज्यादा गरीब था, एक दिन वो शिकार करने जंगल में गया और जंगल में शिकार फंसने के लिये फंदा लगा कर घर वापस चला है जब वह अगले दिन सुबह जाता है तो देखता है एक हिरन उसकी जाल में फंस गया है,
चंदन बहुत खुश हुआ और वह झट से फंदे के पास गया और देखता है की हिरन इंसानों की तरह रो रही थी चंदन को बहुत अचम्भा हुआ उसने हिरन से पुछा तुम इंसानों जैसे कैसे बात कर लेती हो हिरन बोली मैं इच्छा धारी हिरन हु मैं यहाँ नदी के पास पानी पिने आई थी और जाल में फस गई, घर पर मेरे बच्चे इंतजार कर रहे होंगे , ये सुनते ही चंदन के आँख में दया आ गई, क्योंकि वो परिवार का मतलब समझता था उसने हिरन को फंदे से निकाल दिया।
तब हिरन ने चंदन से कहाँ मैं इच्छा धारी हिरन हु, तुम मुझसे कुछ भी माँग सकते हो, चंदन बहुत खुश हुआ और कहाँ, मेरी पत्नी बहुत बीमार रहती है वह चल फिर नहीं सकती हमेशा लेटी रहती है उसे स्वस्थ करदो, तब हिरन ने कहाँ तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई , इतना कह कर वह चली गई।
जब चंदन घर आता है तो देखता है की उसकी पत्नी अब स्वास्थ्य हो गई है, और घर का काम रही है, तब चंदन ने अपनी पत्नी को सारी कहानी बताई तो, उसके बेटों ने कहाँ पापा आप तो बड़ा घर भी माँग सकते थे, मेरे लिये साइकिल, ढेर सारा भोजन, तब चंदन ने कहाँ तुम्हारी मां स्वास्थ्य है तुम्हें खुशी नहीं, बेटों ने कहाँ है बहुत खुशी है,
और फिर चंदन अपने दिनचर्या का काम करने लगा और जिस उसके काम में उसकी पत्नी भी हाथ बटाने लगी
शिक्षा- अगर आप कुछ वरदान में पाना चाहते है तो पहले स्वस्थ चुने, अगर आप का स्वास्थ्य ठीक है तो आप कुछ भी कर सकते है और पा भी सकते है शिक्षा का महत्व Read More
ईश्वर की महिमा -Kids Story in Hindi
एक पंडित भगवान की बहुत पूजा करता था वह भगवान पर इतना विश्वास करता था कि कोई भी काम करना हो भगवान जाने या ईश्वर जाने कहता था, एक दिन बहुत वर्षा हुआ जिससे पंडित जी के गांव में बाढ़ आ गई, लोग अपना घर छोडकरे दूर जाने लगे, लेकिन पंडित जी अपने घर से नहीं निकले, औरो लोगों के बार- बार कहने से भी उनसे कोई प्रभाव नहीं पडा और पंडित जी बस यही कहते रहे की ईश्वर उन्हें बचायेंगे,
सरकार सभी लोगों को बचाने के लिए नाव का इंतजाम किया सभी लोग चले गए जब पंडित जी की बारी आई तो पंडित जी बोले भगवान हमें बचायेंगे और यह कहकर पंडित जी नाव में बैठने से मना कर दिये, फिर भी लोगों ने नहीं माना जब बाढ और बढ गई तो पंडित जी के लिये हेलिकॉप्टर का इंतजाम किया लेकिन पंडित जी नहीं गये बस यही कहते रह गये की भगवान उनकी रक्षा करेंगे, लोगों ने बहुत प्रयास किया अंत में पंडित जी की मृत्यु हो गई ।
पंडित जी की मृत्यु होने के बाद जब वह भगवान के पास जाते हैं तो पंडित जी भगवान से गुस्सा रहते हैं और गुस्से शब्दों से पूछते हैं आपने मुझे बचाया क्यों नहीं, मैं प्रतिदिन आपका पूजा करता हु तब भगवान बोले, मैं आपको बचाने आया था लेकिन आप खुद नहीं आए, पंडित जी ने बोला भगवान भी झूठ बोलते हैं
आप मुझे कब बचाने आए, तब भगवान ने कहा मैं सर्वव्यापी हू मैं सभी मनुष्यों के अंदर विराजमान हूं मैं सभी वस्तुओं के अंदर विराजमान हूं मैं हर जगह विराजमान हूं तुम्हें नाव लेकर जो आदमी आया था वह मैं था सरकार ने तुम्हें हेलिकॉप्टर भेजें मैंने भिजवाया, लोगों ने तुम्हें गुहार लगाई मैंने लगवाई लेकिन तुम नहीं माने तब पंडित जी को समझ में आया की भगवान हर जगह हैं वह हमेशा आपकी मदद किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं
शिक्षा – भगवान हर जगह उपस्थित है अगर आपको उनमें पूर्ण विश्वास है तो वह आपको मदद जरूर करेंगे | क्या ईश्वर होते है Story in Hindi
वृक्ष रक्षा– story in hindi New
एक गांव में एक किसान रहता था वह अपने परिवार का पालन पोषण छोटे-मोटे काम करके करता था उसे रोजाना काम न मिलने के कारण वह अपने परिवार को भोजन नही दे पा रहा था जिससे वह दुखी रहता था क्योकी वह अपने परिवार का सही से देख रेख नहीं कर पा रहा था। इसलिए उसने शहर जाने की योजना बनाई और शहर गया।
वहाँ काम की तलाश में इधर उधर भटका लेकिन उसे वहां से काम नहीं मिला फिर वह गांव वापस चला आया और आकर जंगल से हरी -हरी लकड़ियों को काटकर उसे धूप मे रख देता था जब लकडिया सूख जाती तो उसे वह बेच कर अपने परिवार का पालन करता था एक दिन वह सो रहा था तो सपने में देखता है कि कोई वृक्ष आता है और कहता है “हे मनुष्य तुम मेरे टहनियों को क्यों काटते हो” मुझमे भी जान होती है, मुझे दर्द होता है मुझे पीड़ा होती है तब गरीब इंसान ने कहा मुझे अपने परिवार का पालन करने के लिए इन लकड़ियों को काटना पड़ता है उसके अलावा मैं क्या करूं।
तब वृक्ष ने कहा तुम सूखी लकड़ियां काट सकते हो इतना कहते ही मनुष्य की नींद खुल गई और जब सुबह हुआ वह लकड़ी काटने गय तो वह सूखी लकडियो के साथ- साथ हरी- हरी लकडिया भी काटने लगा, लेकिन अचानक तहलिया टूट गई और वह गीर गया और उसका पैर टूट गया।
वह बड़े पीड़ा से घर पहुंचा और सो गया , सपने में फिर वृक्ष आया और बोला तुमने ऐसा क्यों किया जैसी करनी वैसी भरनी इतना कह कर वृक्ष चला गया
शिक्षा- हमें पेड़ पौधों को नही काटना चाहिए, पेड पर निबंध पढे Story in Hindi
मीठी बोली– new hindi kahani
पहाड़ों के बीच एक छोटा सा गांव था उस गांव में एक नीरज नाम का लड़का रहता था उसका गांव बहुत पसंद था चारों तरफ हरियाली पेड़ पौधे नदियां वह रही थी और वह पास के स्कूल में पढ़ता था 1 दिन स्कूल का छुट्टी हो जाने के कारण वह घर पर ही रुक गया, उसके पिता एक किसान थे जो कि भेड़ बकरियो को पहाड़ों पर चारा खिलाने लेकर जाते थे नीरज ने देखा कि उस दिन उसके पिता की तबीयत थोड़ी सी नरम है तब नीरज ने अपने पिता से कहा पिताजी आज मैं भेड़ों को चराने ले जाऊंगा उसके पिता ने उसे पहले तो मना कर दिया।
लेकिन नीरज के जिद करने पर उसको जाने दिया, नीरज भेड़ों को लेकर पहाड़ों की तरफ निकल पड़ा जब वह भेड़ों को चारा खिलाने के बाद शाम ढलने वाली थी उसे घर वापस आना था तभी वह देखता है कि एक भेड़ कम है वह भेड़ को बुलाने के लिए आजाओ आजाओ की आवाज लगाने लगा, लेकिन वह सुनता है कि कोई और आ जाओ आ जाओ की आवाज निकाल रहा है उसे लगा कोई शरारती बच्चा होगा, जो हमारी नकल कर रहा है उसने गुस्से में पूछा कौन हो तुम जवाब आया कौन हो तुम अब नीरज को विश्वास हो गया कोई है, जो मुझे चिढ़ा रहा ।
उसने गुस्से में गालियां दी और उत्तर में उसे भी गालियां मिले तब तक नीरज की भेड मिल चुकी थी और वह बकवास बंद कर कह कर आगे चला गया वह घर आकर अपनी मां कोसारी बात बताता है कि मां मुझे कोई चिड़ा रहा था मां ने कहा कैसे चिढाया उसने नीरज ने बताया कि जो मैं बोलता वह वही बोलता इसलिए मैंने गुस्से में दो-तीन गालियां भी दे दी। फिर नीरज की मा ने नीरज को बताया कि तुम कल जाना और उससे मीठी और प्यारी बातें करना तब देखना वह कैसा व्यवहार करता है रामू ठीक वैसा ही किया
जब वह अगले दिन गया तो जाते ही नमस्ते किया और उधर से जवाब आया नमस्ते और उसने बहुत प्यारी प्यारी बातें की और उत्तर में भी उसे प्यारी प्यारी बातें सुनने को मिली तब नीरज बहुत खुश हुआ और शाम को जब वह घर आया तो अपनी मां को बताया हां मां उसने आज मुझ से मीठी-मीठी बातें की फिर नीरज पूछता है मा कौन था मां बोलती है वह तुम थे तुम्हारी आवाज पहाड़ों से टकराकर वापस आ रही थी नीरज मां से लिपट गया, तब नीरज की मा ने उसे समझाया अच्छी बातें बोलोगे तो तुम्हें अच्छा उत्तर मिलेगा तुम दूसरे के साथ जैसा व्योवहार करोगे तुम्हें वैसा ही प्रतिफल मिलेगा भगवान ने मनुष्य को सबसे बड़ी भेंट वाणी दी है इसका प्रयोग सोच समझकर करना चाहिए मीठी बोली से दुश्मन भी दोस्त बन सकते हैं ईश्वर ने हमें जो सबसे बड़ी चीजें दी हैं वो वाणी है अद्भुत और श्रेष्ठ है [bhootwala kahani ]
परिवार – kahaniyan hindi mein
दो भाई- बहन एक ही स्कूल में पढ़ते थे भाई का नाम पंकज और बहन का नाम साधना था स्कूल की छुट्टी हो गई थी दोनों घर आ रहे थे घर पर पहुंचने ही वाले थे कि पंकज को याद आया की वह अपनी किताब किसी दोस्त को दिया था जो कि लेना भूल गया वह तुरंत अपना बैग दरवाजे पर रखता है और दूर से आवाज लगाता है मा मैं आकाश के घर जा रहा अपनी किताब लेने और बहन को बोलता है मेरा बैंग अंदर रख देना इतना कह कर भाई चला गया
मां ने भी बहन को बोला कि भाई का बैग अंदर रख देना लेकिन साधना ने बैग रखने से इंकार कर दिया यह कह कर कि मैं दूसरों का सामान नहीं छूती और अंदर आ गई तब तक पंकज आ गया था और सभी लोग हाथ पैर धूल कर खाना खाने जा रहे थे तभी एक पड़ोस का लड़का आता है और पंकज के माता को प्रणाम करता है और कहता है आंटी आपकी साड़ी बालकनी से गिर गई थी वही पहुंचाने आया हूं इतना कह कर वह साड़ी देख कर चला जाता है
तब पंकज की मां बताती है की अगर सुरेश ऐसा सोचता कि दूसरों का सामान नहीं छूना चाहिए तो आज साड़ी गुम हो गई होती साधना बेटा जरा सोचो तुम्हारे पिताजी जो सामान लाते हैं तुम्हारे लिए अगर वह सोच लेना कि मैं सिर्फ खुद के लिए ले जाऊं तो कैसा लगेगा मैं तुम्हारे लिए जो खाना बनाती हूं अगर अगर मैं खुद के लिए बनाने लगे तो कैसा लगेगा ।
परिवार के सभी लोग एक दूसरे के बारे में न सोचे तो उसे परिवार नहीं कहा जा सकता है यहां जो भी काम है वह अपना काम है भाई का बस्ता पिताजी की बैग मम्मी की साड़ी घर की साफ सफाई करने में कोई बुराई नहीं लेकिन ऐसा ना करने में बुराई है अब साधना को समझ आ गया था कि परिवार मैं अपने और पराए का भेद करना गलत बात है साधना ने मां से क्षमा मांगी = की और मां से प्रतिज्ञा दिया कि अब मैं कभी भी अपने और पराए में भेदभाव नहीं करूंगी
शिक्षा -हमें अपने परिवार में भेदभाव ऊंच-नीच जैसा व्योवहार नहीं करना चाहिए Story in Hindi