भारतीय संस्कृति मे ऐसे कई रस्म है जो जन्म से ही निभाये जाते है। वो है खासकर अवसर पर गीत (लोकगीत गाना), हिंदू धर्म मे शुभ अवसरों मे लोक गीत का प्रचलन है। जैसे बच्चे के जन्म पर सोहर, विवाह पर विवाह गीत, पूजा मे भजन आदि गाया जाता है। इन रस्मों को हिंदू भारतीय बडे धूम-धाम से मनाते है। (सोहर सावर ललवना)
सोहर: सावर ललनवा
भईया हमार हम गोर हो काहे सावर ललनवा 2
केहू कहें ललना बुआ पर गया है 2
बुआ क रंग चटकोर हो काहे सावर ललनवा
भईया हमार हम गोर हो काहे सावर ललनवा 2
केहू कहें ललना चाचा पर गया है 2
चाचा क चेहरा अजोर हो काहे सावर ललनवा 2
हम हमार भईया हैं गोर हों काहे सावर ललनवा 2
भइयो खिंचाव ई रबड़ी मिठाई तबऊ
तबऊ ललन नाही गोर हो काहे सावर ललनवा 2
केहू कहें ललना डियम बनेगा।
रोवई लललन जोर जोर हो काहे सावर ललनवा 2
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सास और बहू का जबाबी सोहर
अंगने में ठाडी है सासु त बहु से अरज करई हों 2
बहू अंगने में बैठी गोतिनिया निहुरी पईया लागुऊ हो। 2
एक तो भारी मोर चूनरिया दूसरे लम्बा घूंघट हो2
हो सासू तीसरे में गोदी में ललनवा क ईसे पईया लागुऊ हो
छोरी द भारी चुनरिया उपर कर घूंघट हो 2
हो बहू ललना लेटाव खटियवा निहुरी पईय लाख।
निहुरी पइया लागऊ हो एक त ऊ धन से धन ईतीनी दूसरे पुत वतीनी हो 2
सासू तिसरे में पिया की दुलारीनी कैसे पाव लागी हो
हमरे नी धन से धन ईतीनी त नाति से पुत वतीनी 2
हो बहू हमरेनी पुत की दुलारी निहुरी पईया लागउ हो 2
तोहरे नी धन से धन ईतीनी त नाति से पुत वतीनी 2
हो सासू मोहरे नी पुत की दुलारी तुहिनी पईया लाग तुहई पईया लागुऊ हो
अंगने में ठाडी है सासु त बहु से अरज करई हों 2
बहू अंगने में बैठी गोतिनिया निहुरी पईया लागुऊ हो। 2