लैंगिक समानता:– समाज मे उपस्थिति लैंगिक असमानता, राष्ट्र को विपरीत दिशा मे ले जा रही है। इसका मुख्य कारण किसी एक लिंग (स्त्री या पुरुष) को विशेष महत्व या स्वतंत्रता देना तथा दुसरे को परतंत्र रखना है। समाज मे कई ऐसे कार्य या क्षेत्र मिल जायेंगे, जहाँ स्त्रियों की परतंत्रता एवं रोकथाम को बेखूबी देखा जा सकता है।
जब बात लैंगिक असमानता की आती है तो, मुख्यरुप से इसका अर्थ स्त्री पर हो रहे भेदभाव को दर्शाता है। आज हम इस लेख मे लैंगिक समानता व असमानता पर निबंध पढेंगे, अधिकतर परीक्षाओ मे इस प्रकार के प्रश पूछे जाते है।
लैंगिक समानता पर निबंध
विषय- “एक सतत् कल के लिये आज लैंगिक समानता”
स्त्री व पुरुष दोनों को समान शिक्षा का अधिकार देना, लैंगिक असमानता को दूर करने का मुख्य बिंदु है। हमें समझना होगा की सम्पूर्ण जीवन के निर्माण हेतु लिंगों (स्त्री-पुरुष) में समानता का होना अनिवार्य है। लैंगिक भेदभाव को दूर करके ही समाज व राष्ट्र का निर्माण सम्भव है।
लैंगिक भेदभाव में पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रताडित किया जाता है। इसका मुख्य कारण हम ही है हमारा समाज स्त्री के स्वतंत्रता पर अनेको नकारात्मक विचार व सुझाव उत्पन्न करते है। जो स्त्री स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न करती है। कभी आप ने सोचा है “स्त्री परतंत्र क्यू , पुरुषों के जैसा स्वतंत्र व खुशहाल जीवन क्यू नहीं।
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स्त्री व पुरुष जीवन की तुलना
स्त्री जीवन पुरुष जीवन के अपेक्षा ज्यादा सहर्ष शील होता है, स्त्रियों पर सामाजिक व पारिवारिक दबाव पुरुषों के मुकाबले अत्यधिक होता है इसलिये सामाजिक रुप से स्त्रियों को स्वतंत्रता कम दी जाती है, जबकि पुरुष पारिवारिक व सामाजिक दोनों प्रकार से स्वतंत्र होते है पुरुष मन मालिक होता है बिना किसी अर्चन के जीवन व्यापन करता है, वही स्त्री को समाज व परिवार के द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार जीवन व्यापन करना होता है।
इसलिये जब नारी स्वतंत्रता की बात आती है तो नारी पीछे रह जाती है और पुरुष स्त्रियों के अपेक्षा ज्यादा स्वतंत्र हो जाते है हमें निम्न बातों का ध्यान रखना होगा की स्त्री हो या पुरुष सब को जीवन जीने का हक है, स्त्री व पुरुष दोनों मन-मर्जी जीवन जीने के हकदार है।
हम एक आधुनिक जीवन जी रहे है जहाँ शिक्षा को अधिक महत्व दिया जाता है, ऐसे में नारी को शिक्षा न दिलवाना मूर्खता की बात है, क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही जीवन का विकाश सम्भव है, लेकिन कुछ माता-पिता ऐसे भी है जिन्हें लड़का या लड़की में कोई फर्क नहीं पडता, वो दोनों को समान शिक्षा देते है उनके शब्दावली में भेद- भाव का कोई शब्द ही नहीं, समाज को ऐसे लोगों से सीख लेनी चाहिये।
आप ने गौर किया होगा जब- जब स्त्रियों को मौका मिला है तब-तब वो अपने परिवार, समाज, व देश का नाम रोशन की है, अब स्त्रियाँ शिक्षित हो रही और अपने हक की लड़ाई लड रही, चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो स्त्रियाँ हर जगह अपना परचम लहरा रही। – सतत् विकास क्या है, और क्यों है जरुरी
लैंगिक असमानता को कैसे दूर करें
लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये लोगो को जागरुप होना होगा, शिक्षा यहाँ अहम भूमिका निभा सकती है, लेकिन शिक्षा के साथ-साथ लोगो के विचारों को सकारात्मक परिवर्तन करना बेहद जरुरी है, तथा नारी को स्वतंत्रता दिलाने मे सहयोग करना मुख्य चरणों मे से एक है।
लैंगिक असमानता को दूर कैसे करें
- लडका व लडकी को समान शिक्षा का अधिकार दे।
- लडका व लडकी को समान स्वतंत्रता व परंतत्रता दे।
- लैंगिक भेदभाव का विरोध करें।
- लैंगिक समानता का समर्थन करें।
- लैंगिक समानता के प्रति लोगो को जागरुप करें।
- लैंगिक भेदभाव के कारण हो रहें, समाज मे परिवर्तन के प्रति लोगो को जागरुप करे।
- सर्वप्रथम घर मे हो रहे, लैंगिक भेदभाव को दूर करें।
निष्कर्ष– नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये समाज को जागरुप करना होगा, हमें लोगों को बताना होगा की पुरुष हो या स्त्री सभी को सम्पूर्ण जीवन जीने का हक है यह तभी सम्भव होगा, जब हर मनुष्य नारी स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेगा। स्त्रियों को हक दिलवायेगा तथा समाज को स्त्रियों के प्रति जागरुप करेगा।
आइये हम प्रतिज्ञा लेते है जब भी परिवार, समाज व देश में स्त्रियों के स्वतंत्रता में बांधा उत्पन्न होगी, हम मिलकर विरोध करेंगे, तथा नारी को सम्पूर्ण जीवन दिलाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे-
इस लेख मे हमने लैंगिक भेदभाव ( समानता-असमानता) पर निबंध पढा, यह लेख आप के लिये कितना शिक्षाप्रद रहा, कमेंट मे अपना सुझाव अवश्य दे, साथ शिक्षा से जुडे लेख की जानकारी पहले पाने के लिये, हमारे साथ जुडे- Join US