महादेवी वर्मा की रचनाएँ (साहित्यिक परिचय) – Mahadevi Verme Ki Pramukh Rachana

महादेवी वर्मा का जन्म, 24 मार्च 1907 ई को होली के दिन, उत्तर प्रदेश के सुप्रसिद्ध नगर फरूखाबाद में हुआ था। इनकी माता हेमरानी साधारण कवियित्री थीं और पिता गोविन्द सहाय इन्दौर के एक कालेज में अध्यापक थे। महादेवी वर्मा पर नाना और माता के गुणों का प्रभाव पड़ा था। (महादेवी वर्मा की रचनाएँ :)

महादेवी वर्मा की रचनाएँ
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

महादेवी वर्मा जी का विवाह नौ वर्ष की उम्र में स्वरूप नारायण वर्मा से हो गया। और इन्हीं दिनों इनके माता का स्वर्ग वास भी हो गया। लेकिन उन्होंने अपना अधय्यन जारी रखा तथा पढ़ने में और मन लगा दिया, और उन्होंने मैट्रिक से लेकर एम ए तक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। आइये जानते है। महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं

महादेवी वर्मा की रचनाएं

महादेवी वर्मा जी ने गद्य और पद्य दोनों विधाओं में अपनी लेखनी लिखी है। इनकी कृतियां निम्नलिखित हैं

महादेवी वर्मा की रचनाएँ

#1. निहार – यह महादेवी का प्रथम काव्य संग्रह है। इनके इस काव्य में 47 भावात्मक गीत संकलित हैं और वेदना का स्वर मुखर हुआं है।

#2. रशिम- इस काव्य संग्रह में आत्मा परमात्मा के मधुर सम्बन्ध पर आधारित 35 कविताएं संकलित हैं।

#3. नीरजा- इस संकलन में 58 गीत संकलित हैं। जिनमें से ज्यादातर विरह वेदना से परिपूर्ण है। कुछ गीतों में प्रकृति का मनोहर चित्र अंकित किया गया है।

#4. सांध्य गीत- 58 गीतों के इस संग्रह में परमात्मा से मिलन का चित्रण किया गया है।

#5 दीपसिखा- इसमें रहस्य भावना प्रधान 51 गीतों को इकठ्ठा संग्रहित किया गया है।

महादेवी वर्मा की अन्य प्रमुख रचनाएँ

अतीत के चल चित्र, स्मृति की रेखाएं, श्रृंखला की कड़ियां, पथ के साथी, क्षणदा ,साहित्यकार की आस्था, आदि है।

महादेवी वर्मा की प्रमुख निबन्ध- मेरा परिवार, सकलपिता, चिन्तन के क्षण, आदि प्रसिद्धि गद्य रचनाएं हैं

महादेवी वर्मा की शिक्षा

महादेवी वर्मा जी छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत ही उनकी शादी नौ वर्ष की उम्र में ही डाक्टर स्वरूप नारायण वर्मा के साथ कर दिया गया। इससे इनकी शिक्षा का क्रम टूट गया।

महादेवी वर्मा के ससुर लड़कियों के शिक्षा प्राप्त करने के पक्ष में नहीं थे, जब उनका स्वर्गवास हो गया तो महादेवी वर्मा जी ने पुनः शिक्षा प्राप्त करना शुरू किया।

वर्ष 1920 में महादेवी जी ने प्रयाग से मिडिल प्रथम श्रेणी में प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश का हिस्सा प्रयागराज में संयुक्त प्रान्त के विद्यार्थियों में उनका स्थान सर्वप्रथम रहा। इसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति मिली।

1924 में महादेवी ने हाईस्कूल में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की,इस बार भी ये प्रथम श्रेणी में पास हुईं, और उन्हें दुबारा छात्र वृत्ति मिली,1926 में इन्टर मिडियट, और 1928, में बीए की परीक्षा कांस्थवेट गर्ल्स कालेज में प्राप्त की,1933 में महादेवी ने संस्कृत में मास्टर आफ आर्ट m,a की परीक्षा उत्तीर्ण की,बी ए में उनका एक विषय दर्शन शास्त्र था,इस प्रकार उनका विद्यार्थी जीवन बहुत सफल रहा।

महादेवी वर्मा की जीवनी (एक झलक‌‌)

  • नाम- महादेवी वर्मा
  • जन्म-24 मार्च 1907
  • भाषा शैली- खड़ी बोली
  • मृत्यु- 11 सितम्बर 1987
  • पिताजी का नाम- गोविन्द सहाय वर्मा
  • माता जी का नाम- श्रीमती हेमरानी
  • उच्च शिक्षा- प्रयागराज (इलाहाबाद)
  • पति का नाम- डाक्टर स्वरूप नारायण वर्मा
  • जन्म स्थान- उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले में
  • शुरू में शिक्षा- मध्यप्रदेश राज्य के इन्दौर जिले मे
  • महादेवी वर्मा की रचनाएँ – नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936)
    दीपशिखा (1942), सप्तपर्णा (अनुदित-1959), प्रथम आयाम (1974), अग्निरेखा (1990) है।
  • उपलब्धियां- कवियित्री, लेखिका, महिला विद्यापीठ की प्राचार्या आदि
  • पुरस्कार- पदम् भूषण पुरस्कार, केसरिया तथा मगला प्रसाद पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, आदि
  • साहित्य में योगदान- छायावादी कवियित्री के रूप में गीतात्मक, भावनाओं से युक्त शैली का प्रयोग महादेवी जी की देन है।

महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय

महादेवी जी संगीत ओर साहित्य के अतिरिक्त कला में भी रूचि रखतीं थीं। सबसे पहले इसकी रचनाएं चांद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। ये इस पत्रिका की समपादिका भी रही। इनकी साहित्य साधना के लिए भारत सरकार ने पदम् भूषण पुरस्कार से पुरस्कृत किया।

इन्हें केसरिया तथा मंगला प्रसाद, पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। तथा उसी वर्ष उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान द्वारा एक लाख रुपए का भारत भारतीय पुरस्कार मिला फिर उसी वर्ष काव्य ग्रन्थ यामा पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। ये प्रयाग राज में रहकर साहित्य साधना करतीं रही।

निधन- महादेवी वर्मा जी की मृत्यु 11 सितम्बर 1987 को यह महान कवियित्री पंचतत्व में विलीन हो गई।

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