किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसके व्याकरण को समझना और सीखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस लेख मे हमने हिंदी भाषा के स्वरों (अ से अ: तक – a se aha tak) को बताया है.
हिंदी भाषा मे ‘स्वर’ भाषा सीखने की नींव होती हैं। बच्चों को हिंदी सीखने से पहले, स्वर व वर्णों को सही ढंग से सीखना अत्यंत आवश्यक है। वर्णमाला और स्वरमाला को समझे बिना, आप भाषा नही सीख सकते है। साथ ही हमे याद रखना होगा कि हिंदी भाषा, भारत की राष्ट्रभाषा होने के साथ-साथ, सामूहिक संबंधों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अ से अ: तक (a se aha tak)
हिंदी में कूल 13 स्वर (अ से अ: तक – a se aha tak) होते है जो निम्नलिखिते है।
- अ
- आ
- इ
- ई
- उ
- ऊ
- ऋ
- ए
- ऐ
- ओ
- औ
- अं
- अः
Also Read – रस क्या है? परिभाषा व प्रकार
हिंदी मात्रा (Hindi Matra)
स्वर | मात्रा |
---|---|
अ | कूछ नही |
आ | ा |
इ | ि |
ई | ी |
उ | ु |
ऊ | ू |
ऋ | ृ |
ए | े |
ऐ | ै |
ओ | ो |
औ | ौ |
अं | ां |
अ: | ाः |
अ से अनार आ से आम (A se anar aa se aam)
- अ – अनार
- आ – आम
- इ – इमली
- ई – ईख
- उ – उल्लू
- ऊ – ऊट
- ऋ – ऋषि
- ए – एकतार
- ऐ – ऐनक
- ओ – ओखली
- औ – औरत
- अं – अंगूर
- अः – कुछ नही
हिंदी मात्रा के भेद (Hindi Matra ke Bhed)
उच्चारण के आधार पर मात्रा को तीन भागो में बाटा गया है.
- ह्रस्व स्वर – इनके उच्चारण मे कम समय लगता है. जैसे- अ, इ, उ, ए, ओ।
- दीर्घ स्वर – इनके उच्चारण मे ह्रस्व से दुगना समय लगता है. जैसे आ, ई, ऊ, ऐ, औ ।
- प्लुत स्वर – इनके उच्चारण मे ह्रस्व से तीन गुना समय लगता है. प्राय: यह संस्कृत भाषा में प्रयोग किये जाते है जैसे- ओ३म
इन्हे भी देंखे
स्वर क्यू सींखे
हिंदी भाषा को सीखने के लिये इसके व्याकरण को सीखना अनिवार्य होता है व्याकरण मे सर्वप्रथम स्वर, व्यंजन, वर्ण, शब्द, वाक्य आदि सीखाये जाते है अत: इन्हे पहले सीखना बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
बच्चों को व्याकरण की सही समझ, उन्हें वाक्य रचना और भाषा का सही उपयोग करने में मदद करती है। एक बच्चा जब व्याकरण को समझ लेता है, तो वह अच्छे से बोलने और लिखने की क्षमता विकसित कर लेता है.
इस प्रकार, हिंदी भाषा के वर्ण और स्वरों का सही से सीखना, बच्चों की भाषा सीखने की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाता है। व्याकरण की समझ उन्हें अपने विचारों को प्रकट करने व बोलने मे सामर्थ्य बनाती है