भारत आयुर्वेद का जनक है। प्राचीन मान्यताओ के अनुसार भारत देश मे ही सर्वप्रथम पेड-पौधो से उपचार शुरु हुआ है। जिसे आयुर्वेदिक इलाज कहाँ जाता है। इस इलाज मे किसी भी जीव (व्यक्ति, पक्षी, जानवर, आदि) का इलाज पेड-पौधे, फूल, पत्तिया, छाल, आदि प्राकृतिक संसाधनो से किया जाता है। हरश्रृंगार वृक्ष उन्ही मे से एक है।
यह प्रक्रिया हजारो वर्ष पुरानी है। भारतीय संस्कृति मे, मुख्यरुप से हिंदू धार्मिक ग्रंथो मे आयुर्वेद का जिक्र किया गया है। आज हम इस लेख मे आयुर्वेदिक गुणो से भरपूर्ण हरश्रृंंगार वृक्ष (harshringar tree) के विषय मे जानेंगे।
हरशृंगार का वृक्ष -harshringar plant
हरश्रृंगार का पेड़ बहुत बड़ा करीब बीस फीट ऊंचा तक हो सकता है। अधिकतर भारत में इसका पेड़ बगवानो में मिलता है हरश्रृंगार वृक्ष ज्यादातर मध्य भारत और हिमालय की निची तराइयों में पैदा होता है। इसका फ़ूल बहुत ही सुगन्धित व आकर्षित होता है इनके फूल का रंग सफेद होता है जो रात में खिलते हैं और सुबह मुरझा कर गिर जाते हैं। इसलिये इसे रातरानी भी कहाँ जाता है।
हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्तियां, छाल एवं बीज भी बहुत लाभदायक होते है। इसकी चाय स्वाद में तो अच्छी होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक है । इसकी चाय आप अलंग-अलग तरीके से बना सकते हैं। हरश्रृंगार सेहत और सौन्दर्य के लिये भी फायदेमंद हैं। आइये इसके विषय मे विस्तार से जाने।
हरश्रृंगार के फायदे
हरश्रृंगार का सम्पूर्ण वृक्ष फायदेमंद होता है। यानी की यह पूर्णरुप से आयुर्वेदिक है। इसके पत्ते, फूल, छाल और जडे कई प्रकार की बीमारियो को खत्म करने मे सक्षम है। परंतु किसी भी प्रकार का उपचार करने से पहले डाक्टर की सलाह अवश्य ले। आइये हरश्रृंगार से चाय बनाने की विधि जाने।
इसके चमत्कारी औषधीय गुणों के बारे में जानकर हैरान हो जायेंगे, आपने तो नारंगी डंडी वाले सफ़ेद खूबसूरत और महकते हरसिंगार के फूलों को जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी हरसिंगार की पत्तियों से बनीं चाय पी है या फिर इसके फूल,बीज या छाल का प्रयोग अपने स्वस्थ या सौन्दर्य के लिए किया है। आइये इसके फायदे जानते है। जाने- अश्वगंधा के फायदे
हरश्रृंगार का लाभ और चाय बनाने का तरीका
पहला विधि – हरसिंगार की चाय बनाने के लिए पतीले में दो कप पानी रखें, पानी जब उबलने लगे तो उसमें दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पंक्तियां भी उबलते पानी में डाल दे, और आप अपने स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं,जब उबल जाए तो इसे छानकर गुनगुना या ठंडा करके पीले, यह खांसी, जुकास जैसे कई मौसमी बीमारियो में फायदेमंद है।
दूसरी विधि – हर सिंगार के दो पत्ते और चार फूलों से पांच कप चाय आसानी से बनाईं जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं करते हैं, यह स्फूर्ति दायक होती है।
तीसरी विधि – बुखार में किसी भी प्रकार का बुखार हो, हरसिंगार के पत्तियों की चाय पीना बहुत ही लाभप्रद होता है, डेंगू से लेकर मलेरिया तक,हर तरह के बुखार खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।
चौथी विधि – साईटिका मे हरसिंगार के आठ/दस पत्तियों को दो कप पानी में, धीमी आंच पर पका ले, जब आधा पानी जल जाएं तो इसे उतार लें। ठंडा हो जाए तो इसे सुबह खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आपको फर्क महसूस होने लगेगा।
पांचवीं विधि- बाबासीर या पाइल्स के लिए उपयोगी औषधि माना गया है, हर सिंगार के बीज को खाने से या फिर बीज को पीसकर लेप बनाकर उसी स्थान पर लगाने से फायदेमंद होता है।
छठी विधि- त्वचा के लिए हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से, त्वचा सम्बंधित समस्याएं समाप्त हो जाती है, इसके फूल का लेप चेहरे पर लगाएं तो चेहरा सफेद चमकदार हो जाता है।
सातवीं बिधि- हृदय रोगी के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है, इसके फूलों का रस सेवन करने से हृदय रोग से बचा जा सकता है।
आठवीं विधि- हाथ पैर में दर्द व मांसपेशियों में खिंचाव होने पर, हरसिंगार की पत्ती का रस निकालकर, उसमें अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फायदा होता है
नौवीं विधि- हरसिंगार के पत्तों को नियमित रूप से चाय बनाकर या फिर उसके रस को पीने से शरीर को रोगो से लडने की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन होना व स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।
दशवी विधि- सांस सम्बंधित रोगो में हरसिंगार की छाल को पीसकर चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से अच्छा होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है।