संस्कार व्यक्ति का वह आन्तरिक गुण है जिससे समाज मे उसकी पहचाना की जाती है। यह कई नैतिक गुणो जैसे – बोली भाषा, व्यवहार, कर्म, सकारात्मक विचार आदि नैतिक गुणों का समावेश होता है और इन्ही नैतिक गुणों को मिलकर एक सुखी, समृध्द व संस्कारी व्याक्तित्व का निर्माण है।
संस्कारी व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के मुकाबले अधिक सुखी व समृध्द जीवन व्यतीत करता है। इनकी समाज मे अपनी पहचान होती है। हेलो पाठको ! इस लेख मे हम संस्कारी व्यक्तियों की 10 खूबियों को जानेंगे, साथ ही संस्कार के परिभाषा से भी परिचित होंगे।
संस्कार की परिभाषा
संस्कार मनुष्य का वह आंतरिक गुण है जो व्यक्ति की पहचान बनाने मे मदद करता है। यह पहचान सामाजिक, राजनीतिक, परिवारिक, दार्शनिक आदि सभी हो सकते है। चुकी संस्कार व्यक्ति का आंतरिक गुण है इसलिये सर्वप्रथम संस्कार मनुष्य को अंदर (आंतरिक या भीतर) से मजबूत, निष्ठावन, सकारात्मक, आदि बनाता है। जिसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति सुखी, समृध्द व खुशहाल जीवन का निर्वहन करता है।
प्रश्न – जीवन मे संस्कार का महत्व क्या महत्व है ?
सर्वप्रथम हमें ये जानना जरुरी है की पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों के जैसे ही हम भी एक प्राणी है। परंतु मनुष्य एक सामाजिक प्राणी भी है। साथ ही अन्य प्राणियों की तुलना मे अधिक विकसित भी है। इसलिये, सामाजिक (भौतिक) व आंतरिक समृध्द के लिये संस्कार का होना अनिवार्य है। Motivation Speech
भौतिक व आंतरिक रुप से समृध्द होने के लिये संस्कार का होना अनिवार्य है।
सूरज नारायण
संस्कारी लोगों के गुण
संस्कार का कोई भौतिक स्वरुप नही होता, यह मात्र मनुष्य का आंतरिक गुण है। जो आपको अंदर से, गुणवान, चरित्रवान, गम्भीर व सकारात्मकता जैसे अन्य गुणो से भर देता है। संस्कारी व्यक्ति में निम्नलिखित गुणों का समायोजन होता है। अर्थात एक संस्कारी व्यक्ति मे इन गुणों के लक्षण पाये गये है।
- सकारात्मक बिचार
- व्योहारिक चरित्र
- बोली-भाषा में मधुरता व सत्यता
- निष्ठावान
- सकारात्म उद्देश्य
- मिलनसार
- नैतिक गुण (आज्ञाकारी, रहन-सहन, खान-पीन, आदि)
- समय प्रबंधन
- सरल मन व स्वभाव
- कर्तव्यवान
नोट- जैसा की हमने जाना व समझा की संस्कार मनुष्य का आन्तरिक गुण है। जो इन गुणों का मालिक होता है वो संस्कारी व्यक्तियों की श्रेणी मे आता है। लेकिन वास्तविकता थोडी अलग है, चुकी संस्कार एक आंतरिक गुण है, इसलिये भौतिक व्याख्यानों से पूर्ण नही किया जा सकता है।
बस इसे मनुष्य मे परखा जा सकता है। जो व्यक्ति को सामाजिक व आंतरिक दोनो रुपो से मजबूत बनाये, और जीवन चलाने हेतु सभी आवश्यकताओ को पूर्ण करे वही संस्कार या संस्कारी है।
संस्कारी होने के 10 फायदे
- संस्कार मनुष्यों को कर्तव्यों के प्रति सचेत एवं जागरूक नागरिक बनाता है
- संस्कार मनुष्य को चरित्रवान बनाता है।
- संस्कार मनुष्यों के जीवन को पवित्रता प्रदान करके व्यक्तित्व को निखारता है।
- संस्कार मनुष्यों को सामाजिक एवं अध्यात्मिक नागरिक बनने में सहयोग करता है।
- संस्कार समाज के नियमों से व्यक्ति को परिचित कराता है।
- संस्कार एक प्रकार से मनुष्य को शिक्षित करता है।
- एक संस्कारी व्यक्ति जीवन में कठिन चुनौतियों का सामना करने में सफल रहता है।
- संस्कारी व्यक्ति समाज को व परिवार को सही दिशा में ले जाने का कार्य करता है।
- मानव का सरल मन और सरल स्वभाव संस्कार के मुख्य गुण हैं।
- एक संस्कारी व्यक्ति हर समाज में खुशियां बांट सकता है मनुष्य जन्म से संस्कारी नहीं होता किन्तु संस्कारों के माध्यम से पूर्ण रूप से गुणी हों जाता है तथा अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
संस्कार के सुविचार
संस्कार मनुष्यों को प्रशिक्षित करके योग्य और अनुभवी नागरिक बनाता है।
संस्कारों के द्वारा मनुष्य अपने गांव समाज परिवार में योग्य एवं श्रेष्ठ सदस्य के रूप में माना जाता है उनकी बातों का सब अनुकरण करते हैं।
संस्कार बहुत जरूरी है बच्चा जब पैदा होता है तब अज्ञानी होता है धीरे धीरे वह ज्ञान रूपी संस्कार को अपने परिवार से अर्जित करता है।
संस्कार व्यक्ति के जीवन को निखारने मे अहम भूमिका निभाता है।
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